पृथ्वी के चुम्बकीय (Magnetic) क्षेत्र खिसक क्यों रहे हैं?
पृथ्वी (Earth) के चुम्बकीय (Magnetic) क्षेत्र में परिवर्तन ध्रुव के खिसकने के साथ-साथ पृथ्वी के गहरे अन्दर होने वाली उथल-पुथल के कारण होते हैं. पृथ्वी के सबसे अंदरूनी भाग में द्रव पदार्थ के मंथन से अधिकांश चुम्बकीय क्षेत्र जन्म लेते हैं.
उदाहरण के लिए 2016 में उत्तरी-दक्षिण अमेरिका और पूर्वी प्रशांत महासागर के गहरे अंदर चुम्बकीय क्षेत्र का कुछ अंश कुछ समय के लिए तेज़ी से बढ़ गया. इस घटना का यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी के स्वार्म अभियान जैसे उपग्रहों ने पता लगाया.
विश्व चुम्बकीय मॉडल क्या है?
यह एक प्रकार चार्ट है जिसका प्रयोग कंपास (Compass) द्वारा सूचित उत्तर दिशा और वास्तविक उत्तर दिशा का पता लगाने के लिए किया जाता है. इस मॉडल का प्रयोग न केवल जहाज़ों में अपितु वायुयानों और भूवैज्ञानिक अनुप्रयोगों (जैसे – पृथ्वी (Earth) में छेद करना और खनन करना) में होता है.
विश्व चुम्बकीय मॉडल गूगल मैप सहित स्मार्ट फ़ोनों के मानचित्र अनुप्रयोग का एक अंश होता है. विश्व चुम्बकीय मॉडल की देख-रेख अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन के शोधकर्ता करते हैं.
ध्रुवों के इधर-उधर होने से क्या होगा?
हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में हलचल के कारण एक दिन ऐसा हो सकता है कि चुम्बकीय दक्षिणी ध्रुव चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव बन जाए और उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव में बदल जाए. ऐसी घटना के भयावह परिणाम होंगे. इससे बिजली के ग्रिड नष्ट हो सकते हैं और धरातल पर रहने वाले प्राणियों को सौरी विकरण की अत्यधिक मात्रा का सामना करना पड़े.
सबसे बड़ा खतरा बिजली ग्रिड के सौर आँधियों के कारण ध्वस्त होने का है. इसलिए कुछ वैज्ञानिक यह कहने लगे हैं कि यदि धरती को अन्धकार में डूबने से बचाना है तो शीघ्र से शीघ्र नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का सहारा लेना चाहिए.
ध्रुवों के बदले से अत्यंत आविष्ट पदार्थ (charged particles) उत्पन्न होंगे जो उपग्रहों और अन्तरिक्ष यात्रियों पर भीषण प्रभाव डाल सकते हैं.
ध्रुवों में बदलाव से पृथ्वी की जलवायु (Climate) भी बदल सकती है. हाल ही में डेनमार्क में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि पृथ्वी के मौसम पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का व्यापक प्रभाव होता है.
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